भीमा काली मंदिर -समुद्र तल में लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सराहन (बुशहर) प्राचीन समय में शोणितपुर के नाम से तथा बाणासुर की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। रामपुर बुशहर से 40 किलोमीटर दूर यहाँ स्थित भीमाकाली मंदिर ऐतिहासिक और कला की दृष्टि से अद्भुत है। सराहन में ही श्री कृष्ण और बाणासुर का युद्ध हुआ था। यहाँ स्थापित भीमाकाली शक्तिपीठ को इक्कावन शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। देवी की दो प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर के ऊपरी भाग में माता का कन्या रूप मूर्ति रूप में स्थापित है और इसके नीचे वाली मंजिल में विवाहित रूप है। महिषासुर, रक्तबीज, शुम्भ-निशुम्भ और चण्ड-मुण्ड राक्षसों के आंतक को समाप्त करने की लिए सभी देवताओं ने विष्णु का वरदान प्राप्त किया था। आदिशक्ति के रूप में एक कन्या ने जन्म लिया था जिसने राक्षसों का नरसिंह मंदिर और लांकड़ा वीर मंदिर हैं। यहाँ के रघुनाथ मंदिर की प्रतिमा को बुशहर के राजा कुल्लू के राजा को युद्ध में हराकर लाये थे। लांकड़ा वीर को भीमाकाली का गण कहते हैं।
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