अनाडेल मैदान-शिमला के नीचे की ओर स्थित यह विशाल मैदान भारतीय सेना के अधिकार में है जिस पर राज्य सरकार ने भी अपना दावा पेश किया है। यह मैदान हैलीपेड के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
राजधानी शिमला का अनाडेल मैदान न सिर्फ अपनी खूबसूरती बल्कि अपनी ऐतिहासिकता के लिए भी दुनिया भर में विख्यात है। यह मैदान शिमला शहर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मैदान इस समय सेना के पास है। लेकिन अपनी खूबसूरती की वजह से इसे शिमला का दिल माना जाता है।
समुद्र तल से करीब 6117 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मैदान का नाम कैप्टन चार्ल्स प्रैट केनेडी ने अनाडेल रखा था। कहा जाता है कि चार्ल्स केनेडी सबसे पहले यहां आए थे। यहां की खूबसूरती से वे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी प्रेमिका ऐना के नाम पर इस मैदान का नाम ही ऐनाडेल रख दिया। बाद में इसे अनाडेल पुकारा जाने लगा।
इस मैदान का इतिहास काफी पुराना है। 1830 के आसपास इस मैदान को एंग्लो इंडियन की मनोरंजक गतिविधि स्थल के तौर पर जाना जाता था। लोग यहां पिकनिक, जन्मदिन मनाने और पोलो खेलने आते थे। हर साल यहां नेशनल पोलो चैंपियनशिप होती थी जिसे बाद में कोलकाता के लिए शिफ्ट कर दिया गया।
1839 में करवाया पहला फैंसी फेयर 1839 में यहां पहला फैंसी फेयर भी करवाया गया। अंग्रेजी शासकों ने इस मैदान का इस्तेमाल क्रिकेट और पोलो के लिए किया। मैदान को और बड़ा बनाने में तत्कालीन राजाओं ने भी अहम योगदान दिया था। बाद में मैदान के रखरखाव के लिए जिमखाना, पोलो और क्रिकेट क्लब से लिया गया रेंट इस्तेमाल किया जाने लगा। अंग्रेजी शासनकाल के बाद इस मैदान को सेना के अधीन किया गया। यहां अब सेना के अभ्यास होते हैं। साथ ही कई बार परेड भी होती है। इसके अलावा इस मैदान का इस्तेमाल बड़े नेताओं के हेलीकॉप्टर उतारने के लिए भी होता है। सेना के अधीन इस मैदान की खूबसूरती आज भी बरकरार है।
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